Thursday, 22 October 2015



                                               दुर्गा पूजा की शुभकामनाये सभी को।।

 बचपन में नए कपडे पहनने की उत्सुकता।
याद है |

मंदिर की लाइन में घण्टो लग कर भी
बिना परेशां हुए माँ के साथ अपनी बारी का इंतज़ार करना।
याद है।

पुरे मंदिर के प्रांगण में माँ के पीछे पीछे घूमना
याद है।


आरती करने के बाद माँ के आँचल से आशीष लेना।
याद है।

दुर्गा माँ की ढेर सारी मूर्ति देखने की इच्छा
याद है।

फिर पापा के साथ भी उन्ही मूर्तियो को दोहराना
याद है।

पापा के कंधे पे बैठे मुर्तिया निहारना
याद है|


मेले में मिट्टी की मूर्ति खरीदना
याद है।

मां के मना करने पर उन बातो के लिए रो जाना
याद है।

पुरे मेले में एक ग़ुबारे के लिए शोर मचाना आँखों में आँसु भर आना।
याद है।


बैठे बैठे शाम का इंतज़ार करना
याद है।

वो गुझिया मिठाई की खुशबू और गुलाबजामुन का स्वाद
याद है |



हर मंदिर में जा कर तिलक लगवाना।
याद है।

मेले में झूले पे चढ़ना और हवा से बातें करना भी
याद है।


नवमी के दिन कन्या कुवारी बनना ।
याद है।

पंडाल में लुका लुकाछिपी खेलना
याद है|

दशहरा के दिन रावण वध ,पटाखों की गुंज भी
याद है।


फिर मूर्ति विसर्जन , माँ का चले जाना  भी 
याद है|


दुर्गा पूजा की चहल पहल का याद आना 
याद है|

सारी मज़ा मस्ती के लिए अगले साल फर से पूजा आयेगी ये सोच के मुस्काना 
याद है|


वो यादें ही है जो काफी है आज ऑफिस में रह क़र भी पूजा की उमंगे भर देती है।

कल्पनाओ में फिर वही पूजा ,वही माँ, वही आँचल ,वही झूले, वही मंदिर वही मूर्ति, वही बचपन, वही भोला मन।
सब वही तो है।


दुर्गा पूजा की शुभकामनाये सभी को।।




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