किस बात की तकलीफ किस बात का प्यार
सब अपनी मर्ज़ी के मालिक है।मेरी क्या दरकार।
सौ अश्क़ बहा भी लूँ तो क्या हुआ||
क्यारी के फूल मुरझाये तो क्या हुआ
फूलो को मुरझाना है वो मुरझाना ह तो मुरझेंगे
आँखों को तकलीफ मिटाना है तो रो जायँगे
जीवन की कशमकश कभी हसएगी कभी रुलाएगी
कभी आँखे भरेंगी दुःख से कभी ख़ुशी क आंसू बहायेगी
किसी को रोकना आसान नही है जीवन में
ये तो सागर की लहरे और रेत सी होती .है
रेत ठहर जाती है,और लहरे वापिस लौट जाती
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