Monday, 19 October 2015


   



किस बात की तकलीफ किस बात का प्यार

सब अपनी मर्ज़ी के मालिक है।मेरी क्या दरकार।

सौ अश्क़ बहा भी लूँ तो क्या हुआ||

क्यारी के फूल मुरझाये तो क्या हुआ

फूलो को मुरझाना है वो मुरझाना ह तो मुरझेंगे

आँखों को तकलीफ मिटाना है तो रो जायँगे

जीवन की कशमकश कभी हसएगी कभी रुलाएगी

कभी आँखे भरेंगी दुःख से कभी ख़ुशी क आंसू बहायेगी

किसी को रोकना आसान नही है जीवन  में

ये तो सागर की लहरे और रेत सी होती .है

रेत ठहर जाती है,और लहरे वापिस लौट जाती

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