Saturday, 6 October 2018


बांवरा मन |||
परिकल्पनों के पर लिए,
खुद उड़ना सीख जाता है|
यदि बांवरा मन को क्षिचित्ज़ भी दीख जाता है,
फ़िर खुली आँखों से सपने क्यों न देख पाए तू ?
दो कदम आगे बढ़े चार पीछे आये तू,
ये खुद से खुद की लड़ाई और कितनी लम्बी चलेगी ?
तेरी डूबती नैया की केवट कब तू बनेगी ?
देखो स्वप्न खुली आँखों से ,
चीर चट्टानों को आगे तू बढ़,
क्षिचित्ज़ न छु सके तो कम से कम देख पायेगी,
उम्मीदों की गाँठ बांध कर क्षिचित्ज़ को भी छु जाएगी,
खुद की तू पहचान कर , तू सिंह है, दहाड़ कर,
खुद से जीत आगे तू बढ़,
आगे तू बढ़ ||


Tuesday, 20 March 2018

Thursday, 2 November 2017



                                    अरमां


कह दो आसमानों से,
अरमा अभी रूठे नही.
पंख जो टूटे तो क्या ,
हौसले अभी छुटे नही|

:) :)

Wednesday, 1 November 2017



                                      

                                                                       

                                                   खौफ़

लोगों के दूर हो जाने से,
मुझे खौफ़ है|

रिश्तो के टूट जाने से,
मुझे खौफ़ है|

ये गुम्नामियाँ ही बेहतर है , ज़िन्दगी में|
मुस्कुराते चेहरे पर,चुप्पियाँ छुट जाने से |
मुझे खौफ़ है|

ना जानू  किसी को मैं,
ना कोई मुझे जाने|
लोगो में आने और चले जाने से ,
मुझे खौफ़ है|

जो दीखता है जैसा,
कहा होती फ़ितरत वैसी
वक़्त क साथ लोगो क बदल जाने से ,
मुझे खौफ़ है|

सागर की लहरें बेहतर है, चिनगारियो से|
उम्मीद रहती है लौटने की,चीजों के ख़त्म हो जाने  से
मुझे खौफ़ है|

जो की गलतियाँ,उसे माफ़ कर प्रभु|
तेरे रूठ जाने से ,
मुझे खौफ़ है||

Saturday, 22 July 2017

                                                 


                                         सच ज़िन्दगी का !!

ज़िन्दगी का जनाज़ा कब निकल जाए,ये किसको पता है ||
कब मौत दरवाजे पे दस्तक दे जाए, ये किसको पता है ||
मुलाजिम है हम सब उस हुक्मरां के|
कब अलविदा कहने का पैगाम आ जाए, ये किसको पता है||
मसले ज़िन्दगी के सुलझाने में उम्र बिता गये ||
कब खाक में मिलने का वक़्त आ गया, ये किसको पता है||
जो पल है , जी लो ख़ुशी से, कब साथ छोड़ जाने का वक़्त आ जाए
ये किसको पता है||
ज़िन्दगी की भाग दौर में मिसाइलो को सर चढ़ा लिया |
कब हसे थे लोट कर, कब ली थी चुटकिया ,याद भी न रहा||
कब यम का साथ हो लिए , ये किसको पता है||
  

Thursday, 19 May 2016



                   .................जो ख्वाब है दिल में.......................

जो ख्वाब है दिल में तेरे, दिल से आँखों में उतर जाने दो..
जो खुद से किये कई वादे, उन सब को निभाने दो..
मुड़कर देख लो लहरों को, ऐसी ही है ज़िन्दगी ..
कभी स्थिर नहीं , हमेशा लहरों से भरी..
एक जो आवाज़ है हुंकार सी ,इन लहरों में..
ऐसी गूंज दिल में उठा लो ,अपने सपनों को आँखों में बसा के उसे सच्चा बना लो..
चुप रह कर कब किसने क्या पाया है, किस किस की सोचोगे सब मोहमाया है..
क्या देख रहे हो उस पार को , हो स्वतन्त्र मन से तोरो  डर की दिवार को..
कोई विजेता पैदा नही होता , और ऐसा भी नही जितने वाला नही गिरता नही रोता..
रोकर ,हँसकर,गिरकर.उठकर ,बहाकर  पसीना,रक्त पीकर और यथार्थ में जीकर ..
जीतता है योध्हा..
तो फिर किसका डर !
ले साँस थम एक छलांग तो ले..
थोडा घबराओगे, फिर काबू करना मन को..
ये विश्वास रहे ..कोशिश की है तुमने..

जीत को जरुर पाओगे..

Thursday, 21 April 2016



...................................................तो अच्छा होता माँ ......................................

जो यहा से भी तुमको देख पाती माँ,
जो साथ न होकर भी साथ मेरे हो पाती माँ,
तो अच्छा होता ||
जो करवट बदलती मैं बिस्तर पे तुमको पाती माँ,
जो मिलो दूर भी तुम्हारे पास रह पाती माँ,
तो अच्छा होता ||
जो यहा हो कर भी साथ तुम्हारे पापा के मज़े ले पाती माँ,
जो पड़ोसियों की नक़ल मार साथ तुम्हारे लोट पॉट हो पाती माँ,
तो अच्छा होता ||
जो नींद खुलती यहा भी आवाज़ से तुम्हारी माँ,
जो दिन भर मुझे खिलाने की जिद्द तुम्हारी यहा भी हो पाती माँ,
तो अच्छा होता ||
जो मजिल की तलाश में इतनी दूर तुम साथ आ पाती माँ,
या वो मंजिल ही मिल जाती जो पास तुम्हारे आती है माँ,
तो अच्छा होता ||


बांवरा मन ||| परिकल्पनों के पर लिए, खुद उड़ना सीख जाता है| यदि बांवरा मन को क्षिचित्ज़ भी दीख जाता है, फ़िर खुली आँखों से सपने क्यों...