Saturday, 22 July 2017

                                                 


                                         सच ज़िन्दगी का !!

ज़िन्दगी का जनाज़ा कब निकल जाए,ये किसको पता है ||
कब मौत दरवाजे पे दस्तक दे जाए, ये किसको पता है ||
मुलाजिम है हम सब उस हुक्मरां के|
कब अलविदा कहने का पैगाम आ जाए, ये किसको पता है||
मसले ज़िन्दगी के सुलझाने में उम्र बिता गये ||
कब खाक में मिलने का वक़्त आ गया, ये किसको पता है||
जो पल है , जी लो ख़ुशी से, कब साथ छोड़ जाने का वक़्त आ जाए
ये किसको पता है||
ज़िन्दगी की भाग दौर में मिसाइलो को सर चढ़ा लिया |
कब हसे थे लोट कर, कब ली थी चुटकिया ,याद भी न रहा||
कब यम का साथ हो लिए , ये किसको पता है||
  

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