Thursday, 6 June 2013

क्योंकि मैं लड़की हूँ ??



 अभी अभी तो प्रस्फुटित हो आई  इस संसार में.
अभी तो साँस लेने दो...
 मोरो न मझदार में..
 अभी तो कलि हू कोपल हू. इस ससार में
अभी न धकेलो मुझे समाज के हाहाकार में..
अभी तो साँस लेने दो..
मोरो न मझदार में...
अभी तो चंद गिनती की सासे लि है..
अभी अभी  तो  रुखसत की है..
क्यों बेरियो  में बंधना चाहते हो.
क्यों मुझे जिंदा मौत मारना चाहते हो..
क्यों नही जीने दे रहे मेरे हक की जिंदगी मुझे..
जीने दो कुछ वक्त जीना है मुझे..
क्यों मेरे पंखो को काटना चाहते हो??
क्यों मुझे बेमौत मारना चाहते हो..
अपनी जिंदगी पे भी हक नही हमारा..
ऐसा क्यों जताना चाहते हो.??.
क्यों हर हमेशा उफ़ का एहसास दिलाते हो.??
क्यों अपने होकर भी मुझे पराया बनाते हो..
क्यों मुझे जाने अनजाने बोझ बताते  हो ??
क्यों मेरी खुशी सोच नही पाते हो.?
क्यों ? क्योंकि मैं एक लड़की हूँ.. L L

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