Thursday, 19 May 2016



                   .................जो ख्वाब है दिल में.......................

जो ख्वाब है दिल में तेरे, दिल से आँखों में उतर जाने दो..
जो खुद से किये कई वादे, उन सब को निभाने दो..
मुड़कर देख लो लहरों को, ऐसी ही है ज़िन्दगी ..
कभी स्थिर नहीं , हमेशा लहरों से भरी..
एक जो आवाज़ है हुंकार सी ,इन लहरों में..
ऐसी गूंज दिल में उठा लो ,अपने सपनों को आँखों में बसा के उसे सच्चा बना लो..
चुप रह कर कब किसने क्या पाया है, किस किस की सोचोगे सब मोहमाया है..
क्या देख रहे हो उस पार को , हो स्वतन्त्र मन से तोरो  डर की दिवार को..
कोई विजेता पैदा नही होता , और ऐसा भी नही जितने वाला नही गिरता नही रोता..
रोकर ,हँसकर,गिरकर.उठकर ,बहाकर  पसीना,रक्त पीकर और यथार्थ में जीकर ..
जीतता है योध्हा..
तो फिर किसका डर !
ले साँस थम एक छलांग तो ले..
थोडा घबराओगे, फिर काबू करना मन को..
ये विश्वास रहे ..कोशिश की है तुमने..

जीत को जरुर पाओगे..

Thursday, 21 April 2016



...................................................तो अच्छा होता माँ ......................................

जो यहा से भी तुमको देख पाती माँ,
जो साथ न होकर भी साथ मेरे हो पाती माँ,
तो अच्छा होता ||
जो करवट बदलती मैं बिस्तर पे तुमको पाती माँ,
जो मिलो दूर भी तुम्हारे पास रह पाती माँ,
तो अच्छा होता ||
जो यहा हो कर भी साथ तुम्हारे पापा के मज़े ले पाती माँ,
जो पड़ोसियों की नक़ल मार साथ तुम्हारे लोट पॉट हो पाती माँ,
तो अच्छा होता ||
जो नींद खुलती यहा भी आवाज़ से तुम्हारी माँ,
जो दिन भर मुझे खिलाने की जिद्द तुम्हारी यहा भी हो पाती माँ,
तो अच्छा होता ||
जो मजिल की तलाश में इतनी दूर तुम साथ आ पाती माँ,
या वो मंजिल ही मिल जाती जो पास तुम्हारे आती है माँ,
तो अच्छा होता ||


बांवरा मन ||| परिकल्पनों के पर लिए, खुद उड़ना सीख जाता है| यदि बांवरा मन को क्षिचित्ज़ भी दीख जाता है, फ़िर खुली आँखों से सपने क्यों...